शांत शांता का तूफानी अंदाज

धर्मशाला। समय : सुबह 4:30 बजे। यामिनी परिसर में भाजपा प्रत्याशी शांता कुमार की सुबह होती है। ईश्वर को प्रणाम करने के बाद शांता ने 3 गिलास गुनगुना पानी पीते हैं और यामिनी के आंगन में सैर करते हैं। 20 मिनट प्राणायाम और फिर फ्रेश होकर चुनावी प्रचार के लिए निकल लेते हैं। घर से निकलने से पहले वह गले को तंदुरुस्त रखने के लिए थोड़ी देर स्टीम जरूर लेते हैं। 6:30 बजे शांता कुमार ब्लैक पेंट, चेकदार शर्ट, ब्लैक बास्केट और सैंडल पहन कर यामिनी परिसर स्थित अपने दफ्तर पहुंचते हैं। कुछ फोन कॉल्स करके कार्यकर्ताओं के साथ दिनचर्या की शुरूआत होती है। सवा आठ बजे धर्मपत्नी संतोष शैलजा नाश्ते में दूध और ब्रेड देती हैं।
9:00 बजे शांता ज्वालाजी विस क्षेत्र में आयोजित होने वाले कार्यकर्ता सम्मेलन के लिए जाने को अपनी इंडेवर गाड़ी में बैठजाते हैं। पत्नी गाड़ी में केला, संतरा और अंगूर आदि फल रखवा देती हैं। शांता गाड़ी की पिछली सीट पर रखे अखबार पढ़ने लगते हैं क्योंकि वह जानते हैं भाषण का मसाला उन्हें इसी में मिलेगा। 11:15 बजे नादौन के पास बड़ोली पुल पर ज्वालामुखी मंडल के प्रभारी कृपाल परमार, पूर्व मंत्री रमेश धवाला, जिला संगठनात्मक अध्यक्ष नरेश चौहान गाड़ी रुकवा कर शांता का स्वागत करते हैं। यहां पहले से प्रेम कुमार धूमल अपने वरिष्ठ साथी शांता के इंतजार में खड़े हैं। यहां से थोड़ी दूर 11:30 बजे कार्यकर्ता सम्मेलन शुरू होता है। सम्मेलन में शांता कार्यकर्ताओं को किसी हवा में न बहकर जीत के लिए जीतोड़ मेहनत करने की सलाह देते हैँ। शांता सभी कार्यकर्ताओं का हाथ जोड़कर मुस्कुराहट के साथ अभिवादन स्वीकारते रहे। फिर 1:45 बजे यहां से कांगड़ा के अब्दुल्लापुर स्थित बूथ सम्मेलन के लिए निकल पड़ते हैं। अब्दुल्लापुर में शांता 3:15 बजे पहुंचते हैं। उनका काफिला देर शाम तक यूं ही चलता रहता। उनके चेहरे पर हमेशा शांति दिखती है लेकिन प्रचार का अंदाज बेहद तुफानी रहता है।

लंच में खाए सिर्फ फल
शांता कुमार ने नादौन के पास बड़ोली पुल पर होटल में लंच में सिर्फ फल खाए। फलों में उन्होंने केला, अंगूर और संतरे लिए। बीच में स्नैक्स भी लिए।

क्या कहते हैं मतदाता

केवल कुमार : कांगड़ा जिले में पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेलवे लाइन पर हर नेता भाषणबाजी के अलावा कुछ नहीं कर पाया है। अंग्रेजों ने यहां रेल लाइन हिमाचल के विकास के लिए बिछाई थी। उन्होंने फायदे या घाटे का सौदा नहीं देखा था, लेकिन आजादी के बाद नेता लोग नफा नुकसान के चक्कर में जनता का घाटा कर रहे हैं।

अरुण कुमार : नेता सिर्फ चुनावों के दौरान ही चेहरा दिखाने आते हैं। चुनाव जीतने के बाद नेता मुड़कर गांवों की समस्याएं जानने की कोशिश नहीं करते। नेताओं को अपने वायदों पर अमल करना चाहिए।

नरेश शर्मा : कांगड़ा में बेरोजगारी मुंह फैलाए खड़ी है। कांगड़ा में बड़े उद्योग लगना जरूरी हैं ताकि युवाओं को रोजगार मिले। पर्यटन क्षेत्र में विकास कर भी बेरोजगारी को काफी हद तक दूर किया जा सकता है।

दिवाकर चौधरी : कांगड़ा और चंबा जिले में सड़कों की हालत बेहद खराब है। जब सड़क बन भी जाए तो छह सात महीने से ज्यादा नहीं चलती। सरकार चाहे कोई भी आए उसे सड़कों की हालत दुरुस्त करनी चाहिए। साथ ही गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए।

नारायण चौधरी : कांगड़ा जिले में कई पुल अभी भी अंग्रेजों के जमाने के हैं। इन पर हादसों के डर के साथ जाम भी आम रहता है। नेताओं को इन पुलों की सुध लेनी चाहिए।

शांता का वायदा…
जनसभाओं में शांता भ्रष्टाचार और भूख मुक्त भारत का निर्माण करने का वायदा कर रहे हैं। शांता कहते हैं कि महंगाई दूर कर स्वाभिमानी और खुशहाल भारत बनाने का हमारा इरादा है। उन्होंने कहा कि अगर वह सांसद बनते हैं तो चंबा में सीमेंट उद्योग लगवाएंगे। इससे बिलासपुर की तरह चंबा में भी बेरोजगारी दूर होगी। पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेल लाइन को ब्रॉडगेज कर लेह तक पहुंचाया जाएगा। कांगड़ा-चंबा को पर्यटन की दृष्टि से विश्व के मानचित्र पर लाया जाएगा। हाईकोर्ट का बेंच धर्मशाला में लाया जाएगा। कांगड़ा-चंबा में आलुओं पर आधारित उद्योग लगाने के प्रयास होंगे।

नो उल्लू बनाविंग…
शांता कुमार हर जनसभा में पठानकोट-जोगिंद्रनगर रेलवे लाइन को ब्रॉडगेज कर उसे लेह तक पहुंचाने का वायदा कर रहे हैं। लेकिन, इस पर लोगों को संशय है। कांगड़ा के रवि कुमार, धीरज शर्मा, मनु जसवाल और धर्मेंद्र का कहना है कि यह वायदा तो हर बार होता है, सभी कर रहे हैं, लेकिन पांच साल तक इस पर कुछ नहीं होता। फिर चुनावी बेला पर रेल ब्रॉडगेज करने की बीन बजना शुरू हो जाती है। चंबा में पहले सड़कों की हालत तो सुधरे फिर जाकर सीमेंट प्लांट की सोचनी चाहिए। धर्मशाला को पर्यटन की दृष्टि से संवारने के लिए नेता वायदों से ऊपर उठें। धर्मशाला में एक अदद सिनेमा हॉल तक नहीं है। मैकलोडगंज में गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो जाए तो 11 किलोमीटर नीचे धर्मशाला आना पड़ता है।

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